POST-1.
हदीस_ए_अब्दाल.
दौर ए हाज़िर में हमारे ज़माने में एक ऐसा फिरक़ा मौजूद है जिसने अपना नाम तो #वहाबी से #अहले_हदीस और मुस्लिम मुमालिक़ में ख़ुद को #सलफी रखा। पर न तो कभी हदीस पढ़ी है और न ही उनके अक़ाइद व अमल है हदीस के मुताबिक़ और न #सलफ के।
इस #फिरक़े की बड़ी निशानी ये है कि ये उम्मत मुस्लिमा को #अल्लाहके #वलियो से दूर करने का हरमुमकिन काम जो कर सकते है करते है फिर ये ख़ौफ भी नहीं करते की उनकी गुस्ताखी करके अल्लाह ताअला से जंग ले रहे है उनका इनकार करके मुन्किरीन ए हदीस भी बन रहे है। चूँकि उम्मत में तफरक़ा डालना मक़सद है उनका अमल मिशन बा दस्तूर चालू है।
औलिया अल्लाह के मक़ाम और मर्तबे के लिहाज़ से फिर उनमे भी दर्जे होते है,ये बन्दे अल्लाह ताअला के नज़दीक़ वो क़ुर्बियत पाते है जो आम फरिश्तों को भी नहीं मिल पाती,और उन्हें वो अता किया जाता है जो आम इंसान के समझ, सोच ओ फ़िक्र से भी बाला तर है,ये जमात हक़ीक़ी मायने में ज़मीन पर अल्लाह ताअला के ख़ुलफा होते है।
#वहाबी शेखो ने यहाँ बड़ी चालाकी दिखाई और आवाम के दिल दिमाग में ये बात डालने की हर वक़्त कोशिश की है कि किसी तरह ये साबित करदे की औलिया-अल्लाह के जो ये दर्जे है #गौस #अब्दाल #क़ुतुबवगैरह ये तमाम चीज़े #ब्रह्मांणों से यूनानी फलसफो से आई है।जिनका ताल्लुक़ #इस्लाम से नहीं है। बल्कि झूठ की इन्तेहा पार करके कहते है इसकी इजाद #अहमद_रज़ा_खान_बरेलवी ने की है।
ये फक़त झूठ और गलत अफवाह फैला कर मुसलमानो को इन#औलिया_अल्लाह से दूर करने का एक तरीक़ा है, चन्द किश्तो में मै साबित करूँगा कि औलिया के ये दर्जे है #गौस #अब्दाल मानना ये चीज़ कोई आज के हिन्दोस्तान और पाकिस्तान से नहीं आयी। बल्कि हदीस ए पाक में इसका ज़िक्र है।
पर आइये पहले एक बुनियादी चीज़ देखे क्या हर मुसलमान एक दर्जे का है...या उनमे भी एक मुसलमान दूसरे मुसलमान से दर्जे में अलग है.. बाज़ को बाज़ पर मक़ाम और मर्तबे के लिहाज़ से फज़ीलत है....?
#क़ुरआन में औलिया अल्लाह का काफी ज़िक्र है जिसमे एक मशहूर आयत ए क़रीमा है
أَلا إِنَّ أَوْلِيَاء اللّهِ لاَ خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلاَ هُمْ يَحْزَنُونَ
"सुन लो बेशक़ अल्लाह के वलियों पर न कुछ ख़ौफ है न ग़म"
(📗 सूरह यूनुस आयत : 62)
चुनांचे यहाँ हम उनके दरजात के लिहाज़ से नाम को लिख रहा हूँ।
#गौस #क़ुतुब #नुजाबा #अवताद #अबरार #अब्दाल #अख्यार
इमाम जलालउद्दीन सुयूती अलैहिर्रहमा (अल-मुतवफ्फा 911 हिजरी) ने इस उनवान पे अपने फतावा अल-हावी में बाब क़ायम किया बाब नंबर 70 में नाम रखा
#अल_खबरूद_दल_अला_वुजूदिल_क़ुतुबी_वल_अवतादी_वन_नुजाबयी_वल_अब्दाल
और अपने फतावा " अल-हावी-लिल-फतावी"में लिखते है
"ये बात मुझ तक पहुँची की कुछ लोग जिन्हे कुछ इल्म नहीं वो इस बात का इनकार करते है जो औलिया में होती है जिन्हे #अब्दाल #नुजाबा #अवताद और #अक़्ताब है हालांकि की उनके वजूद पर बहुत सी हदीसे और रिवायते मौजूद है लिहाजा इसपे मैंने इस किताब में रिवायत जमा की है जो नफा देगी और जान ले जो मुन्किर है इसके उन्हें कोई अहमियत न दें"
इसके आगे इमाम सुयूती ने उन सहाबा के नाम लिखे जिनसे उन्होंने इन रिवायतों को नक़ल किया है हज़रत उमर इब्न ख़त्ताब, हज़रत अली इब्न अबू तालिब, हज़रत अनस इब्न मालिक, हज़रत हुज़ैफा इब्न यमन,हज़रत उबादा इब्न सामित,हज़रत अब्दुल्लाह इब्न अब्बास, अब्दुल्लाह इब्न अम्र , हज़रत अब्दुल्लाह इब्न मसूद, हज़रत औफ बिन मलिक, हज़रत वसेला इब्न अस्की, हज़रत माज़ इब्न जबल, हज़रत अबु सईद खुदरी , हज़रत अबु दरदा,हज़रत अबु हुरैरा, उम्मुल मोमिनीन उम्मे सलमा रज़ियल्लाहु अन्हुमा अजमयीन।
(📗 अल-हावी-लिल-फतावी, जिल्द:02, सफा:229-230)
आगे जारी है....
POST-2
#हदीस_ए_अब्दाल_किश्त02
इसके बाद इमाम सुयूती अलैहिर्रहमा ने अगले 15 सफो तक 50 रिवायत जमा की है इसके वजूद पर यहाँ मै कुछ हदीस ए पाक#अब्दाल के वजूद पे स्कैन पेज के साथ जमा कर रहा हूँ। जिसमे बाज़ ज़ईफ है तो बाज़ हदीस सिहत से सहीह है। जिसको पढ़ने के बाद आपका दिल ओ दिमाग यक़ीनी तौर पर ख़ुश हो जाएगा और ईमान ताज़ा हो जाएगा।
#हदीस: शुरई उबैद रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है हज़रत अली रज़िअल्लाहु अन्हु जब इराक़ में थे तो उनकी मौजूदगी में अहले शाम के लोगों का ज़िक्र किया गया।लोगों ने कहा ऐ अमीरुल मोमिनीन अहले शाम पर लानत करें..! हज़रत अली रज़िअल्लाहु अन्हु ने फरमाया "नहीं मै उन पर लानत नहीं करूँगा।मैंने रसूलअल्लाहﷺ से सुना है शाम में #अब्दाल रहा करते है जिनकी तादाद 40 है जब उनमे से कोई एक इन्तेक़ाल फरमाता है तो अल्लाह ताअला उसकी जगह दूसरे को मुक़र्रर कर देता है और उन्ही के सदक़े तुम पर बारिश होती है उन्ही के सद्क़े रिज़्क़ अता किया जाता है और तुम दुशमनो पे फतह पाते हो,और तुमसे मुसीबत टाली जाती है "
(📚मुस्नद अहमद इब्न हम्बल जिल्द:01, सफा 438 हदीस:896)
(📚हाफिज़ इब्न कसीर, जामी अल-मसानीद-व-सुनन, जिल्द:01, सफा:230-231, हदीस :- 2920)
(📚मिश्क़ात अल-मसबीह, बाब ज़िक्र ए यमनी हदीस:6015)
#हदीस:- हज़रत अनस इब्न मालिक रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है नबी ए क़रीमﷺ ने इरशाद फरमाया ज़मीन उन 40 शख़्स से खाली न होगी जिनका क़ल्ब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के क़ल्ब पे होगा उन्ही के वसीले से अल्लाह फ़तेह और बारिश देगा उनमे जब भी किसी का इन्तेक़ाल होता है अल्लाह ताअला उसकी जगह किसी दूसरे को मुसल्लत कर देता है """
हज़रत क़तादा कहते है हमें इसपर कोई शक़ नहीं है कि हज़रत हसन बसरी उनमे से एक है ।
( 📚 इमाम तबरानी अल-मुजम अल-अवसत, जिल्द:04, सफा: 247, हदीस 4101)
(📚इमाम अबु नु'अयम असफहनी मारिफत अस सहाबा,हदीस 4013)
(📚इमाम इब्न असाक़ीर तारीख़, जिल्द:01,सफा 298)
अब आप अन्दाज़ा लगाए ये नाम के #अहले_हदीस कितने बड़े इल्मुल यतीम और मुन्किर ए हदीस है।और इनका अमल हदीस के ख़िलाफ है जबकि हदीस से साबित हुआ अल्लाह अपने महबूब बन्दों के वसीले से बारिश,रिज़्क़,दुशमनो पर फतह देता है मगर ये विक्ट्रीयन अहले हदीस औलिया-अल्लाह के दुश्मन उन्हें माज़अल्लाह शिर्क़ का अड्डा कहते फिरते है, और मुसलमानो को क़ुरआन की वोह आयत बता कर अपने जाल में फांसने की पूरी कोशिश करते है जो इब्तिदा ए इस्लाम के जामने में बुतो पर नाज़िल हुई थी उसे ये अक़्ल से पैदल लोग अल्लाह के वलियो पर फिट करते है माज़अल्लाह सुम्मा माज़अल्लाह।
#अक़्ल_होती_तो_ख़ुदा_से_यू_न_लड़ाई_लेते
आगे जारी है....
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