Saturday 17 April 2021

रमज़ान का बयान/Ramzan ka bayan hindi

 रमज़ान कि तारीफ यानी मतलब


रमज़ान का मफ़हूम

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- रमज़ान का एक शरई मफ़हूम ये भी मौजूद हैं कि अल्लाह रब्बुलइज़्ज़तﷻ ईरशाद फरमाता हैं बैशक हमने कुरआन को नाज़िल किया यानी कुरआन ए करीम के नाज़िल होने का महीना।


[हवाला:अल कुरआन तर्जुमा:कन्नज़ुल ईमान सुरह:अल बकरा आयत:185]

[हवाला:अल तहकीक ए ग़ज़ाली मुस्ताफाई]


- रमज़ान का एक लुग्वी मफ़हूम ये भी मौजूद हैं कि भूख और प्यास कि शिद्दत को बर्दाश्त करना।


[हवाला:लिसान अल अरब जिल्द:07 सफाह:162]

[हवाला:अल तहकीक ए ग़ज़ाली मुस्ताफाई]


- रमज़ान का एक लुग्वी मफ़हूम ये भी मौजूद हैं कि ख़ाक कर देना या मिटा देना क्यूंकि रमज़ान हमारे गुरूर को ख़ाक और हमारे गुनाहों को मिटा देता हैं।


[हवाला:अल ख़मूस उल वहीद सफाह:669 से 670]

[हवाला:अल तहकीक ए ग़ज़ाली मुस्ताफाई]


- रमज़ान का एक लुग्वी मफ़हूम ये भी मौजूद हैं कि अल्लाह रब्बुलइज़्ज़तﷻ को राज़ी करने का महीना और गुनाहों को छोड़कर नैकी करने का महीना।


[हवाला:सहिह अत तरगीब सहिह आहादीस:995]

[हवाला:अल तहकीक ए ग़ज़ाली मुस्ताफाई]


- शरई नुख्ते नज़र में रमज़ान का एक लुग्वी मफ़हूम ये भी मौजूद हैं कि अल्लाह रब्बुलइज़्ज़तﷻ ने अपनी एक ईबादत जिसको हम पर फ़र्ज़ करार दिया हैं यानी रमज़ान के रौज़ें।


[हवाला:तफसीर इब्ने क़सीर जिल्द:02 सफाह:185]

[हवाला:अल तहकीक ए ग़ज़ाली मुस्ताफाई]


- रमज़ान का एक लुग्वी मफ़हूम ये भी मौजूद हैं कि सौम यानी रूक जाना यहा रूक जाने से मुराद अपनी नफ्सानी खवाईशातो से रूक जाने का नाम रमज़ान हैं।


[हवाला:फ़ज़िलत ए रमज़ान जिल्द:03 सफाह:03]

[हवाला:अल तहकीक ए ग़ज़ाली मुस्ताफाई]


*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰهﷺ*🌹






हदीस शरीफ नं :1

जन्नत में 8 दरवाज़े है उनमें एक दरवाज़े का नाम रैय्यन है, उस दरवाज़े से वही जन्नत में जायेंगे जो रोज़ा रखते है। 

{सही बुखारी,हदीस नं 3257}


हदीस शरीफ नं :2

हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैही व आलिही व सल्लम ने फ़रमाया,"रोज़ादार का सोना भी इबादत है उसकी ख़ामोशी तस्बीह है।"

{कंज़ुल उम्माल, जिल्द 4, जुज़ 8, सफ़ह 599, हदीस 23562}



रोज़े के मसाईल


بِسْـــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
قُلۡ هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ‌ۚ‏ اللّٰهُ الصَّمَدُ‌ۚ‏ لَمۡ يَلِدۡ وَلَمۡ يُوۡلَدۡۙ‏ وَلَمۡ يَكُنۡ لَّهٗ كُفُوًا اَحَدٌ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَاللّٰهﷺ🌹


“ 15 वो ख़ास अमल जिनसे रोज़ा फ़ासिद यानी टुटता नहीं ”
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01:हालत-ए-भूलचूक में कुछ खाने पीने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:390 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



02:हालत-ए-भूलचूक में हमबिस्तरी कर लेने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:390 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



03:हालत-ए-नींद में ऐैहतलाम होने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:396 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



04:सर या कुल बदन पर तेल या कोई मरहम वगैरा लगाने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:395 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



05:सुरमा लगाने से या सुरमे का असर हलक में महसूस होने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:395 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



06:किसी भी किस्म का इत्र लगाने या इत्र सूघने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:390 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



07:मिसवाक करने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:481 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



08:अपना थूक या अपना बलगम निगल लेने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:413 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



09:चने के दाने से कम कोई चीज़ दात के फसी हुई थी मुंह से निकले बगैर वो हलक में उतर जाए या उसे निगलने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:398 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



10:मख़्खी धुआं गुबार या आटा वगैरा अनजाने में हलक में चले जाने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:394 बाब:मा यूफसिदुस्सौम) 



11:ख़ुद बा ख़ुद कै यानी उल्टी होने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं चाहे कै यानी उल्टी मुंह भरकर ही क्यू ना हों॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:416 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



12:कै यानी उल्टी का ख़ुद बा ख़ुद हलक में लौट जाने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:416 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)



13:बदन से खून निकलने या बदन से खून निकलवाने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:397 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)







15:इंजेक्शन लगने या इंजेक्शन लगवाने से रोज़ा फ़ासिद यानी टूटता नही हैं॥

(हवाला:अल शामी जिल्द:07 सफाह:395 बाब:मा यूफसिदुस्सौम)
   

- गुलाम-ए-अली अबू तुरआब फ़कीर मुआविया ज़फ़र ग़ज़ाली मुस्ताफाई रज़ा क़ादरी अमरोहीवी {टी.टी.एस.अमरौहा शाह:+917417474441}


Sunday 4 April 2021

Murgi Ke Panje Khana Kaisa?

 *🐓#Murgi_Ke_Panje_Khana_Kaisa?*


*SUWAAL:*


Hamare Kuch Muslim Bhai Murghi Ke Panje Bana Kar Bade Hi Shouq Se Khate Hai, Kiya Murghi Ke Panje Khana Jayaz Hai.


*JAWAB:*


Murghi Ka Jo Panja Hota Hai, Aam Tour Par Loag Use Nahi Khate Hai, Aur Na Khana Ye Unki Apni Tabai Pasand Hoti Hai Yani Wo Apni Tabiat Ke Aitbar Se Na Pasand Karte Hai


Rahi Shariyat Ki Baat To, Shariyat Ne Murghi Ke Panje Ko Khana Jayaz Qarar Diya Hai.


Kiyunke Jo Janwar Sharai Taur Par Zabah Kiya Gaya Ho To Uske Jism Ke Sirf 7 Hisse Aise Hai Jinki Wazahat Ahadees e Mubaraka Mai Rasulullah Sallallahu Alaihi Wasallam Ne Farma Di Hai, Ke Un Hisso Ko Khana Jayaz Nahi Hai

Aur Jo 7 Hisse Bayan Kiye Gaye Hai Unmai Murghi Ka Panja Nahi Hai


Murghi Ke Panje Mai Kisi Qism Ki Koi Nijasat Na Ho, Usko Dho Liya Jaye Achi Tarah Se, Aur Phir Usko Pakaya Jaye, To Bila Shubha Shariyat Ise Khane Ki Ijazat Deti Hai.


Iski Nazeer, Aapko Dekhni Ho To Fatawa Faqeeh e Millat, Zabah Ke Bayan Mai Aap Dekh Sakte Hai

*Isi Tarah Fatawa e Razvia Mai Bhi Aap Dekh Sakte Hai


Lihaza Shariyat Mai Murghi Ke Panje Khana Jayaz Hai.

واللہ تعالیٰ اعلم باالصواب


_Irshad Quadri Amjadi_


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Qabristan Jakar Salaam Karna | Qabr walo Ko salaam Karna |Hadees

 Hazrat Abdullah Bin Abbas رضي الله عنه Se Riwayat Rasool Allah ﷺ Madinah Shareef Me Kuch Qabro Ke Paas Se Ghuzray To Un Qabro Ki Taraf Rukh...