Sunday 23 June 2019

मज़ारो_पर_होनेवाले_खुराफातो_का_रद्द Mazaaro par honewale khurafato ka radd/ darga me hone wale galat kaam

#मज़ारो_पर_होनेवाले_खुराफातो_का_रद्द.

मज़ार पर जब चादर मौजुद हो , खराब न हुई हो तो चादर चढाना फिज़ुल खर्ची है, वही रक्कम अल्लाह अज्जवज़ल के वली को ईसाले सवाब करने के लिए किसी मोहताज को दे|

#नोट: ऐसी बहोत से बातें है जो वलीयो के मज़ारो पर हो रहे है, इस्से बचो और दुसरो को भी बचाओ,सुन्नीयत का नुकसान बहोत हुआ है इन्ही बातों से|

¤Reference:
{अहकामे शरीअत, जिल्द:1, सफा: 42}


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#मज़ारो_पर_होनेवाले_खुराफातो_का_रद्द

मज़ार का तवाफ ताज़िम कि नियत से किया तो नाजायज है, तवाफ सिर्फ काबा ए शरीफ के लिए मख्सुस है|यानी काबे के अलावा किसी और को तवाफ जायज नही|

#नोट:आज कल लोग मजारों का तवाफ करते नज़र आ रहे है यह सरासर गलत है इस्से बचो और लोगो को भी बचाओ|सुन्नीयो ईल्म दीन हासिल करो|

¤Reference:
{Fatawa Razawiya, 4/08}

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#सजदा_ए_ताज़िम_हराम_है..
#सजदा_ए_ईबादत_शिर्क_है...

सजदा अल्लाह के सिवा किसी के लिए नही|गैरुल्लाह को सजदा ए ईबादत शिर्क और सजदा ए ताज़िम हराम है|

#नोट:ऐ सुन्नीयो किसी के ताज़िम के लिये भी सजदे जैसा न झुको क्यो कि यही हरकते बता कर भोले भालों को बहाबी लोग गुमराह कर रहे है|

किसी को झुकता देखा तो शिर्क के फतवे देना जहालत है,सजदे के भी कुछ शरायत होते|पहले नियत देखनी जरुरी है|याद रहे कोई भी मुसलमान किसी भी वली को खूदा नही मानता|और इसका गलत मतलब निकाल कर शिर्क के फतवे दे रहे है|ऐ वहाबीयो बचो बे ईस्से वरना शिर्क लौट कर ईल्जाम लगाने वाले पर आयेगा|

¤Reference:
{Azzubdatuz Zakiyya, Safa -5}

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#मज़ारो_पर_होनेवाले_खुराफातो_का_रद्द.

मैने एक कव्वाली सुना जिसमे वह कह रहा है कि "ख्वाजा का मेला आ रे ला है" अरे भाई यह मेला वगैराह क्या है? तुम लोग मज़ार मुबारक कि जियारत करने जाते हो या गुमने फिरने?
आप लोगो ने देखा होगा जब भी अल्लाह पाक के वलियो का ऊर्स होता है वहा के लोग कव्वाली का इंतज़ाम करते है,और ढोल ताशे बजाया जाता है|वलियो के दरबार मे दाढीमुंडे कव्वाल और और उसके मुक़ाबले औरत को बिठाया जाता है|
लोग जम कर पैसा लुटाते है उनपर याद रहे यह सब हराम काम है|

#हदीस:

सरकार  صلی اللہ علیہ وسلم ने फरमाया__
"मुझे ढोल और बांसुरी तोडने का हुक्म दिया गया है."
{Firdoos Al-Akhbaar, Hadees:483}

मज़ामिर के साथ कव्वाली हराम है,और उसका सुन्ना भी हराम है|
{Fatawa E Radwiya}

#नोट:यह सब करने से बेहतर है ईसाले सवाब करो,गरीबो मिस्किनो को खिलावो|
आज यही खुराफात बता-बता कर वहाबी लोग भोले भाले सुन्नीयो को गुमराह कर रहे है,बाज़ आओ भाईयो|

#BarelviTiger

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#मज़ारो_पर_होनेवाले_खुराफातो_का_रद्द.

बहोत से लोग वलियो के मज़ारात पर कब्जा कर के लोगो से पैसा वसुल रहे है,उन्ही पैसो पर उनका घर चलता है और इन्ही पैसो से वो और उनके बच्चे अय्याशियां कर रहे है|

ऐ मुसलमानो होश मे आ जाओ,
हमारे जितने नेक वलियाए किराम परदा फरमाये है उन्होने अपना घर दौलत छोडकर दिन का काम किया,भुके पेट रहकर दिन कि तबलिग कि|
उन्हे पैस कि जरुरत नही, यही पैसो वलियो के लिए ईसाले सवाब करो,गरीबो मिस्किन को खिलावो नमाज़ कायम करो....

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बुज़ुर्गों की तस्वीरें

आजकल बुज़ुर्गाने दीन की तस्वीरें और उनकी फोटो घरो और दुकानों में रखने का भी रिवाज़ हो गया है । यहां तक कि कुछ लोग पीरों , वलियों की तस्वीरें फ्रेम में लगाकर घरों में सजा लेते हैं, और उन पर मालाये डालते, अगरबत्तियां सुलगाते यहां तक कि कुछ जाहिल अनपढ़ उनके सामने मुशरिकों, काफिरों, बुतपरस्तो की तरह हाथ बांध कर खड़े हो जाते हैं । यह बातें सख्त तरीन हराम, यहां तक कि कुफ्र अंजाम है बल्कि यह हाथ बांधकर सामने खड़ा होना उन पर फूल मालाएं डालना यह काफिरों का काम है ।

सय्यिदी सरकार आला हज़रत अश्शाह ईमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमां इरशाद फरमाते हैं,
अल्लाह अज़्ज़वजल इबलीस के मक्र (मक्कारी) से पनाह दे ।

दुनिया में बुत परस्ती की इब्तिदा यूंही हुई कि अच्छे और नेक लोगों की मोहब्बत में उनकी तसवीरें बना कर घरों और मस्जिदों में तबर्रुकन रख लेते और धीरे धीरे वहीं माबूद हो जाते हैं।

फतावा रज़विया, जिल्द 10, क़िस्त 2, मतबूआ बीसलपुर, सफ़हा 47.

बुखारी शरीफ और मुस्लिम शरीफ की हदीस में है कि, वुद ,सुवाअ, यऊक और नसर जो मुशरिकीन के मअबूद और उनके बुत थे, जिनका ज़िक्र क़ुरआने करीम मे भी आया है।
यह सब कौमे नूह अलैहिस्सलाम के नेक लोग थे उनके विसाल हो जाने के बाद कौम ने उनके मुजस्समे बना कर अपने घरों में रख लिये, उस वक़्त सिर्फ मोहब्बत में ऐसा किया गया था, लेकिन बाद के लोगों ने उनकी इबादत और परसतिश शुरू कर दी । इस किस्म की हदीसे कसरत से हदीस की किताबों में आई हैं ।

खुलासा यह कि तस्वीर, फ़ोटो इस्लाम में हराम हैं । और पीरों, वलियों, अल्लाह वालों की फ़ोटो और उनकी तसवीरें और ज़्यादा हराम हैं ।

अल्लाह तआला हमें दीन-ए-इस्लाम को समझने की तौफीक अता

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जाहिल का अमल पूरी जमाअत की तर्जुमानी नही होता
अगर किसी जमाअत को समझना चाहते हो तो इनके आलिमो को सुनो और किताबो को पढ़ो तब जाके हकीकी मोक्फ जान पाओगे की इनकी विचाधारा क्या है इनका अमल क्या है!!!जैसे कि टॉपिक पर आते हैं जो लिखने का मक़सद है!!!

मज़ार को सजदा करना हराम है यह अहले सुन्नत वल जमात के अक़ीदे का ही  हिस्सा है।  इसमें अगर मगर की बात कर के मैं सजदा करने वालों का पक्ष  बिलकुल नही लूंगा। आला हज़रत रहमतुल्लाह अलैह मज़ार पर हाज़री के आदाब में लिखते हैं कि शेख के मज़ार पर जाए तो 4 हाथ की दूरी पर खड़े रह कर  फातेहा पढ़े और उसी अदब के साथ खड़ा रहे जैसा उनकी ज़ाहिरी हयात में करता था। इसलिए जो लोग आला हज़रत पर क़बरपरस्ती , शिर्क और बिदअत का झूठा इल्ज़ाम लगाते हैं , उनको समझ लेना चाहिए कि यह बदगुमानी  कितने बड़े गुनाह का बाइस बन सकती है

दर हक़ीक़त  इस मामले में सबसे पहली ज़िम्मेदारी मुजावर और ख़दीमीन की है कि वे ज़ायरीन को सजदा करने से रोकें। पर यदि कोई जाहिल नही मानता तो इसके लिए क्या वे औलिया ज़िम्मेदार हैं, आला हज़रत ज़िम्मेदार  हैं या  मसलक ज़िम्मेदार है, आप खुद जवाब दे सकते हैं

यहां मसला यह है कि जब हम अक़ीदे पर बात करते हैं तो उस वक़्त हम किसी जाहिल की खुराफात पर बहस नही करते  हैं  और न ही उसकी हरकत को  सही ठहराते  हैं-यह पॉइंट आप ध्यान में रख लीजिये ।हम यहां मस्लकि बहस में  ओलमा के बद अक़ीदों की चर्चा कर रहे हैं और हमे इसी पर अपनी तवज्जो मरक़ूज़ रखनी चाहिए कि ये संदर्भित अक़ीदे कितने सही हैं और कितने गलत। इसके अलावा  किसी और गैर जरूरी मुद्दे  का ज़िक्र कर के आपको और हमको बहस की दिशा को मोड़ने का प्रयास नही करना चाहिए

मसलकी मज़मून पे लिखने की ज़रूरत आज इसलिए मज़ीद ज़रूरी है क्योंकि गुमराह फिरको और तंज़ीमो के दानिशवरों ने सोशल मीडिया की मदद से अपने ओलमा ए सू की बदअक़ीदगी को मीठे शब्दों की चाशनी में लपेट कर क़ौम के सामने पेश करने को अपना मशगला बना लिया है।  कल ही मैने देखा कि एक  मुस्लिम बुद्धिजीवी थे जो  थानवी की खुली खुली गुस्ताखियों को अगर -मगर का जामा पहना कर  जस्टिफाई करने की कोशिश  कर रहे थे। आज उन्ही के बड़े भाई कह रहे थे कि  वे  नानोट्वी की कुछ " महान तस्नीफात "  बयान करने  का मंसूबा बना रहे हैं। ये चीजें बहुत चिंताजनक स्थिति पैदा कर रही हैं जिनको देखते हुए  लगता है कि मुस्लिम नवजवानों की वर्तमान पीढ़ी को यदि सही अक़ीदे की तालीम नही दी गयी तो  वे जिस्म से तो मुसलमान नज़र  आएंगे , लेकिन उनकी रूह ईमान की लज़्ज़त से खाली रह जाएगी

आज  मुस्लिम नौजवानों का बहुत बड़ा शिक्षित  तबका बदअकीदगी के मकडजाल में  फंस चुका है . कोई इस्लाम की  आधुनिक व्याख्या के नाम  पर  जाकिर नायक  के जाल  में  फंसा है  तो कोई " शिरको-बिदत " से बचने के नाम  पर  तबलीगी जमात का शिकार बन  रहा  है . कोई गैर-मुकल्लिद बनने और सिर्फ कुरान और  हदीस का पालन  करने के नाम  पर " अहले  हदीस " बनने  चला  है  तो कोई AMU   की आधुनिक  शिक्षा और  सर  सय्यद के आकर्षण  में  नेचरी बन चूका है . ये सभी  फिरका ए  बातिला  हैं जो  मुस्लिम नवजवानों के दिल से ईमान  निकाल  कर  उन्हें कुफ्र के अंधेरों  में  धकेल  रहे  हैं
.
 जिस तरह हम दर्ज़नों  राजनैतिक दलों के गुण-दोषों की  विवेचना  कर के  सही  दल को अपना  वोट देते  हैं , उसी  तरह  हमें  चाहिए  कि  सभी 73  फिरकों  की  विवेचना  कर के देखें कि  कौन  सा  फिरका है जो सच्चे इस्लाम का प्रतिनिधित्व  करता है और  जिसकी  पैरवी  करने से हमें आखिरत  में  जन्नत  हासिल  होगी . बिला  शुबहा वह 73 में  एक ही  फिरका है और  उसका नाम  है अहले  सुन्नत  वल  जमात  ; क्योकि  इसी  पर  तमाम सहाबा , ताबयीन , तबे-ताबयींन , आइम्मा ए दीन , ओलमा ए मुज्तहिदीन , औलिया ए कामिलिन , सलफे सलिहीन सभी  कायम  रहे  और इनके  अकीदों का किसी  भी दौर के  गुमराह फ़िरक़ों के अक़ीदों  से न कोई समानता है और न ही  किसी तरह का कोई सम्बन्ध पाया जाता है

यकीन वाले कहाँ से चले     कहाँ पहुंचे ,
जो अहले शक हैं   अगर में  मगर में रहते हैं!!!


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"औलिया अल्लाह की दरगाह पर कारोबारीयों का कब्जा"

ज्यादा तर मज़ारात ए औलिया पर मैंने सर की आँखों से देखा वहाँ सिर्फ पैसे की लूट लगाई हुई है जो पैसे लूटने वाले लोग हैं उनका मकसद उस पैसे को ख़िदमद ए ख़ल्क़ में लगाना नही अपनी ऐशो इशरत को बढ़ाना है
अपनी घर बंगलों को आलीशान बनाना है अपनी गाड़ियों को लम्बा और लग्जरी बनाना है बच्चो को ब्रिटेन अमेरिका में ऐश करना है।

औलिया की ज़िन्दगी तक़वा ए इलाही और इताअत ए रसूल में गुज़रती है तब उनको अल्लाह की तरफ से ये इनाम अता होता है बुज़ुर्गी अता होती है रूहानी ताकत अता होती मगर क्या कभी किसी औलिया ने ऐसे पैसे उघाये जवाब यही आएगा नही बल्कि सारी ज़िंदगी शरीयत पर शख्ती से अमल पैरा रहते हैं अल्लाह की इबादत आक़ा हुजूर का इश्क़ की उनका ऑक्सीजन होता है मगर आज उनके मकसद व मनसब को अवाम को बताने की जगह ढोल और हारमोनियम पर नाच होता होता है नसेड़ी गंजेड़ी सुलपा लगा के नशे में धुत बताते हैं कि वज़द आ रहा है अरे ऐसे कंजरों पर वज़द आएगा वज़द आने के लिए रूह तक शरीयत उतरी हुई होनी चाहिए इश्क़ ए रसूल से दिल रोसन होना चाहिए।

अगर इस ड्रामे बाजी की जगह दर्शे क़ुरान और दर्श हदीस किया जाता तो शायद उम्मत ए मुस्लिमा वो फायेदा होता जिसका अंदाज़ नही लगाया जा सकता है
और नए नए फ़ितने जो पैदा हो रहे हैं इस खुराफात की तस्वीर दिखा कर खुद को फ़रोग़ देते हैं और जाहिर है कि फ़रोग़ मिले भी क्यों न जिसकी इज़ाज़त शरीयत नही देती जब वो काम किया जायेगा तो लोग बाद'जन होंगे ही और जाहिर को देख कर वो पिछले बुजुर्गों का खयाल भी ऐसा ही लाएंगे की वो भी ऐसे होंगे ये सब शायद ऐसे ही होते होंगे और क़ुरान और हदीस का नाम लेके दूसरे लूटरे
जो खुद गुस्ताख़ ए रसूल हैं वो उचक लेते हैं ईमान को

ये ज्यादातर दरगाह पर क़ाबिज़ लोग छिपे हुए यज़ीदी वहाबी देओबंदी हैं इनका दीन ईमान सिर्फ पैसा है

उँगली में 10 अंगूठी पहने से कोई पीर या सूफी नही बनता कोई खास रंग के कपड़े पहना तसव्वुफ़ नही है
गले मे मोटी माला पहनने से अल्लाह राज़ी नही होगा

ज्यादातर दरगाहों पर बद'मजहब वहाबी देओबंदी का कब्जा है उनका मकसद दो हैं पैसा बनाना और सुन्नियत को कमजोर और गुमराह बदनाम करना दरगाह से जुड़े होने की वज़ह से अवाम उनको भी सही उल अक़ीदा समझ बैठती है जबकि वो भेड़ की खाल में भेड़िये हैं जेब के साथ ईमान भी तुम्हारा लूटेगा और जमाने मे बदनाम भी तुम होंगे
इनका कॉलर साफ रहेगा।

सबसे पहले तुम औलिया की जिंदगी को पढ़िये उनका उनके मक़सद को पढिये और उसको आम कीजिये

मज़ार पर चादर चढ़ाने की वजाए उन पैसे से किसी मुस्तहिक़ को कपड़े दिला दो और इसाले सवाब उन बुजुर को कर दो जिनको चादर चढ़ाना चाहते थे।

दरगाह पर किसी मुजावर को किसी चीज़ के नाम का पैसा न दो जो करना है घर आकर चाहो हो पूरी देग बनवा कर बेवा मिस्कीन ख़िलवाओ और इसाले सवाब कर दो उससे ज्यादा अल्लाह राज़ी होगा!!!

दरगाह पर आने वाले नज़राने सब इनकी जेबो में जाते हैं जितना नज़राना आता है दरगाहों पर उतने पैसे से कितनी यूनिवर्सिटी क़ायम हो चुकी होती कितने हॉस्पिटल क़ायम हो चुके होते कितने मदरसे क़ायम हो चुके होते कितने यतीम और बेवाओं को सहारा दिया जा रहा होता कितनी गरीब बच्चियों के निक़ाह हुआ करते

कितने बड़े लेबल पर दीन का काम हो रहा होता मगर अब तक हो क्या रहा है वो सबके सामने है

सुन्नियत को कमजोर इन्ही डाकुओं ने किया है और वहाबियों और देओबन्दियो ने अपने पिट्टू छिपा रखे हैं भेड़ की खाल पहना कर अंदर तक 1 पोस्ट में सब कह पाना न मुमकिन है सब कुछ खोल पाना आसान नही लगातार पोस्ट करति रहूंगी और उम्मीद रखति हूं बेदार सुन्नी नोजवान आगे बढ़कर कंधे से कंधा मिला कर एक दूसरे का इस मुहिम में साथ देगा अपने ऊपर से ये कलंक जो हमारे जाहिलों और डाकू मुज़वारों की वज़ह से लगे हुए हैं उनको साफ करने का वक़्त आ गया है औलिया अल्लाह के असल मक़सद को आम करना है

नकल को देख कर असल का भी इंकार न कर बैठना
गलत हाथो से धोका खा कर सही हाथो से भी न मुराद न होना बुजुर्गों की वालियों की मुहब्बत को निकलने न देना कभी उनका अदब अहतराम उनकी मुहब्बत से दिल मुअत्तर रखना उनकी गुज़ारी हुई जिंदगी को अपनाना
की कैसे उन्होंने अल्लाह की तौहीद को अपनाया और कैसे रिसालत पर खुद को क़ुर्बान किया !!!

आक़ा हुजूर से उनका इश्क़ कैसा था अल्लाह की फरमाबरदारी कैसी थी उसको अपनाओ!!!

हमारे इमाम आला हजरत की तालीमात को आम करना है

अब किसी चोर की चोरी आपके और आपके गुलामो के नाम पर नही चलेगी मेरे आक़ा

लब्बैक या रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु व अलैही वसल्लम)

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#ढोंगी__मुजावरों__को__उखाड़__फेकें

मज़ारों पर ढोंगी मुजावरों का ग़लबा और ग़ैर शरई कामों को धँधा बनाने की यूँ तो तमाम वजहें हैं, लेकिन औरतों की मज़ारों पर बढ़ती तादाद खराब निज़ाम की अहम् वजह है ! तमाम सख़्त नसीहतों के बावजूद हम खुद सवाब की नियत से औरतों को मज़ारात पर ले जाकर खुद गुनाहगार तो हो ही रहे हैं साथ ही इस ग़ैर शरई काम को क़सदन या सहवन फ़रोग भी दे रहे हैं !
औरतों की मज़ारों पर हाज़िरी हो या क़ब्रिस्तान में जाना ! सख्त मनाही है ! क़ब्रिस्तान तो औरत नहीं जा रही है लेकिन मज़ारों पर निगाह डाली जाये तो अक्सरियत औरतों की ही मिलेगी ! आखिर क्यूँ ? वजह साफ...मर्द जिसको हाकिम बनाया गया है, उसने औरतों के आगे खुद को सरेंडर कर दिया है ! अब औरत निज़ाम चलाने लगी है ! फ़िर बुराई का ग़लबा तो होना ही है ! औरत अपनी जिहालत की इतनी पाबंद हो गई है कि उसको अपने मिजाज़ के खिलाफ हर हक़ बात बुरी लगती है ! हँगामा बरपा देती है ! मर्द सख्ती बरतने के बजाय बेचारगी की चादर ओढ़ कर उसके हर ग़ैर शरई काम को अंजाम देने के लिये तय्यार है !
मर्द की इसी ढील ने औरतों को तानाशाह बना दिया है ! मन्नतों का बहाना बनाकर जब देखो मज़ार पर खड़ी हैं !
कभी अपने शौहरों को बस में करने के लिये तावीज़ की ग़रज़ तो कभी सास ससुर से अलैहिदगी की दरकार के लिये फुँका हुआ पानी चाहिए ! तो कभी बच्चे की मुराद पूरी करने के लिये अगरबत्ती लुभान के धुयें की ज़रूरत ! औरतों की ख़्वाहिशात ने ढोंगी मुजावरों की लाटरी लगा दी है ! घर की दौलत ले जाकर ढोंगियों को दे देती हैं ! तमाम मौक़ों पर जिस्मानी रिश्ते क़ायम तक करने की बुरी खबरें तक सामने आई हैं !
अब जब औरतों ने ठग मुजावरों के लिये तिजोरी के दरवाज़े खोल दिये हैं तो फ़िर ये सही बात बताकर अपना माली नुक़सान क्यूँ करने लगे ? जिस्मानी लज़्ज़त का इंकार क्यूँ करने लगे ? हर लिहाज़ से मौजा ही मौजा है ! जहाँ दुनिया कमाना मक़सद हो चला हो तो फ़िर बुराईयों ही गश्त करेंगी ! और आज कल वही सब हो रहा है ! अगर वाक़ई में हम ढोंगी मुजावरों और खुराफातों से निजात चाहते हैं तो हमें औरतों को मज़ारों पर जाने से सख्ती से रोकना होगा ! अपने पैग़ाम को आम करना होगा ! जहाँ सख्ती से काम चलाना है वहाँ सख्ती बरती ही जाये ! जहाँ नरमी से बात बने ज़रूर कहा जाये ! बहरहाल पैग़ाम दिया जाये ! औरतों का मज़ारों पर जाने से रुकना मतलब ढोंगी मुजावरों को उख़ाड़ फेंकना ही है !
आइये हम सबों को लिल्लाहियत के साथ आज से ही....

#मज़ार__पर__औरत__नहीं ! की तहरीक में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिये ! बाक़ी आप सब खुद समझदार हैं ही !

Shan E Auliya /ALLAH ke wali / Nek Bande

POST:1

Banda ALLAH Taala Ka Kurb Kab Paata Hai ? Karamat E Awliya Makam E Auliya Ahle Sunnat Kay Auliya Kay mutallik Tamam Aqeede Ka Saboot Bas Ek Hi Hadees E Sahi Bukhari Se Saabit

Hadees :
Hazrat Abu Hurraira Radi Allaho Anho Se Marvi Hai Huzoor Nabi E Karim Ne Farmaya Allah Taala Farmata Hai Jo Merey Kisi Wali Sey Dushmani Rakhey Mey Us Sey Elaane Jung Karta Hoo’n Aur
Mera Banda Aisee Kisi Cheez Key Zariye Meyra Qurb Nahin Paata Jo Mujhey Farzon Sey Zyada Mehboob Ho Aur Meyra Banda Nafli Ibadat Key Zariye Baraabar Meyra Qurb Haasil Karta Rahta Hey.

Yahan Tak Ke Mein Us Sey Muhabbat Karney Lagta Hoo’n Aur Jab Mein Us Sey Muhabbat Karta Hoo’n To Mein Us Ka Kaan Ban Jaata Hoo’n Jis Sey Woh Sunta Hey Aur Us Ki Aankh Ban Jaata Hoo’n Jis Sey Woh Dekhta Hai Aur Us Ka Haath Ban Jaata Hoo’n Jis Sey Woh Pakarta Hai Aur Us Ka Paanw Ban Jaata Hoo’n Jis Sey Woh Chalta Hey.

Agar Woh Mujh Sey Sawal Karta Hey To Mein Usey Zaroor Ata Karta Hoo’n Aur Agar Woh Meri Panaah Maangta Hey To Mein Zaroor Usey Panaah Deyta Hoo’n.
Mein Ney Jo Kaam Karna Hota Hey Us Mey Kabhi Is Tarah Mutardid (Fikramand) Nahin Hota Jaisey Banda-E-Momin Key Jaan Leney Mey Hota Hoo’n, Usey Mowt Pasand Nahi Aur Mujhey Us Ki Takleef Pasand Nahin.

References :
Sahi Bukhari Pg : 2384/85, kitab ar riqak, baab : 38 باب التَّوَاضُعِ , Hadees : 6137) Arabic Nuskha Scan page

English Edit Ref
*👉(Sahi Bukhari Vol : 08, Pg :275, Kitab Ar Riqak, Baab : Hadees : 6502)*

Yehi Rivayat bahot se Sahaba rizwanullaheem Azmayeen se aayi hai mukhtalif alfaaz k saath.
(Sahi Ibn Hibban Vol : 02, Pg : 58, Hadees : 347)
(Imam Bayhaqi Sunan Ul Kubra, Kitab Uz Zuhad Al Kabir, Vol :02, pg : 269, Hadees : 696)
(Imam Tabrani Al Mu’jam Al Kabir Vol : 08, Pg : 221, Hadees : 7880 & Vol 12, Pg : 145, Hadees : 12719)
(Imam Tabrani Al Mu’jam Al Awsat Vol : 1 Pg :192, Hadees  : 609, Vol 09, Pg : 139, Hadees : 9352)
(Imam Abdul Razzaq Al Mussanaf Vol : 11, Pg : 192-93)
(Imam Ibn Abi Dunya Kitab Al Awliya Vol : 01, Hadees : 45 Rivayat Hazrat Anas)
(Imam Abu Nauym Al Hilyatul Awliya 01/5, 8/318)
(Imam Qushayri Risala E Qushairiya Pg : 292)
(Imam Bazzar Al Mazma Uz Zawaid Vol : 04, Pg: 241-42)
(Imam Abu Yaala Al Musnad Vol : 12, Pg : 520 Rivayat Hazrat Maymuna)
(Imam Hakim Tirmiiz Nawadir Al Usul, Hadees : 75,162,228)
(Imam Daylami Al Musnad Firdaws Vol :03, Pg : 215, Hadees : 4472, 4475)

Hadees E Mustafvi Salallahualaihwassalam Se Awliya Allah ki Ahem pehchan maloom huwi k Banda Allah ki bargaah me makbool aur martaba tab paata hai jab Sabr ko Ekteyar karle aur khoob Nafl ki pabandi kare.

Ek Jaruri Wajhahat Nafl ka makam Farz, Wajibat, Sunnat k baad hai yehi wajah rahi k jitne Auliya Allah guzre Imam Hasan Basri, Imam Zafar Sadiq, Imam E Aazam Abu Hanifa, Gaus E Aazam, Baba Farid, Khwaja Moinudin Chisri Ajmeri, Makdhoom E Ashraf Simnani wagairah inki puri zindagi Farz Wajibat Sunnat ki khoob kasrat to hoti aur uske elawa raat raat Nafl ibadat me guzar dete par aaj k kuch kam ilm Musalman Aise Aise logo ko apna peer aur wali maante nazar aate hai jo mureedin k saath raat bhar Qawwali bajate nazar aate hai kuch to itne aage hai raat bhar khud nasha charas peete hai aur mureedin ko bhi pilate hai Nafl to dur Faraiz tak ada nahi hote Subah Fazr k wakt aate hi Sote nazar aate hai aise peero se ALLAH Taala Hume bachne ki taufeek de 02 04 Quran ki aayat ka galat mafoom bayan kar apne mureedo ko gumraah karte hain.

Aur Jab Allah Taala Bande Muhabbat Karta hai To kya Hota Hai Wo Is Post me darj hadees E paak me padhe

Phir Aage Farmaya Wo Jo maange usse ata karta hoon uski baat raddh nahi hoti Allah Taala Uska Haath Ban Jaata Hai Unki Aankh ban jaata hai

Harkat banda karta hai par usme wo tamam Power Allah ka hota hai jo ALLAH Unhe ata karta hai
Banda hota Ek Makam par hai par dekhta puri dunya ko saamne dekhta hai

jaise Gaus E Aazam Farmate hai
Mai Tamam Shahro ko aise dekhta hoon jaise Haatheli me rakha rai kaa dana

Ye Is hadees se saabit hai kay bande ki Allah aankh ban jaata hai
Ek makam se dusre makam palak jhapakte pahuch jaate hai

Aur Jjo Wali Ki Tauheen karte hai wo hakikat me Imaan waale to hargiz nhi wo Allah Se hi jung karte hai








POST :2


*🔮Jo ALLAH ﷻ ke kisi Wali se dushmani kare🔮*

📚Imam Bukhari رحمة الله عليه​ ke nazdik Awliya ka maqam

📖Hadees: ALLAH ﷻ farmata hai:
*jo mere wali se dushmani rakhe main uske khilaf Jung ka elan karta hu. Aur Mera Banda Faraiz ke zariye mera qurb hasil nahi karta balki mera banda barabar nawafil (nafil) ke zariye mera Qurb hasil karta hai, Yahan Tak ki main usse Mohabbat karne lagta hun. Aur jab main usse Mohabbat karta hun to uski sama'at ban jata hun jisse wo sunta hai. Uski Basarat ban jata. Hun jisse wo dekhta hai. Uske hath ban jata hun jiske sath wo pakadta hai aur uska pair ban Jata hun jisse wo chalta hai. Agar wo mujhse kuch mange to main use zarur ata karta hun. Agar wo meri Panah pakde to zarur usko panah deta hun.

📙(Sahih Bukhari J-3 Kitabur Riqaq Baab Tawaze H.no.1422)

➡️Aaj ke Munkireen jo Awliya ki be-adbi karte hain unke liye nasihat hai.

Is Hadees se kayi baaten jo Pata chalti hain wo Awliya ke maqam aur Karamat hain.

1️⃣. ALLAH ﷻ jiski sama'at ban Jaye kya wo bhi door ki baaten nahi sun sakta?

2️⃣. ALLAH ﷻ jiski basarat ban Jaye uske liye kya muhal hai ki wo Zamin se nazar uthaye to Arsh aur Lauhe Mehfuz tak dekh le?

3️⃣. ALLAH ﷻ jiske pair ban Jaye uske liye kya dushwar hai ki qo ek Lamhe me duniya ke kisi bhi kone me pahunch sake?

Aaj ke Munkireen, Waliyon ki in baaton ko na jane kaunsi Hadees padhkar shirk kehte hain.

Kam se kam Bukhari Sharif hi padh lo.

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POST:3




*🔮Auliya Allah رحمةاللّٰه تعالىٰ عليهم Ki Mazaar Se Faiz Lena🔮*

*🌹Imam Musa Kazim رضی الله تعالٰی عنہ Ki Mazar Par Jakar Fariyad Karna*

Hazrat Imam Khateeb Al Baghdadi رضی الله تعالٰی عنہ Al Mutawaffah *463* Hijri Likhte Hain...✒️

Hazrat Ahmad Bin Jafar Bin Hamdan رحمةاللّٰه تعالىٰ عليه Ne Kaha Mene al Hasan Bin 'Ibrahim Ibn e Ali Khilal (رحمةاللّٰه تعالىٰ عليهم) Ko Kehte Hue Suna
*Mujhe Koi Mushkil Hoti Ya Koi Preshani Aati To Me Sayyidina Imam Musa Kazim رضی الله تعالٰی عنہ Al Mutawaffah 183 Hijri Ki Qabr Mubarak Par Jata Aur Fariyad Karta To Allah ﷻ Meri Mushkilat Ko Asaan Kar Diya Unke Wasile Se*

*📚Reference Book📚*

📕Tareekh e Baghdad
📖Safa *133*

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POST:4

*_Kya Allah Ke Wali Ka Pani Mein Chalna Mumkin Hain??_*

Hazrat Khwaja Junaid Baghdadi Rehmatullahi Alahi Ka Pani Par Chalne Wala Waqiyah Ka Wahabi Salafi Bidaati Log Mazaq Uddate Hain Pata Nahi Kya Kya kehte Hain Kya Kya Fatwe Lagate Hain Ab Lagaye na Fatwe Ye Ibarat Aur Wakiya To Khud Inke apne Molvi Ki Qitaab me Bhi Mojood Hain

Salaaf K Maane Ka Dawa Karte Hain Par Maantey Nahi 🤷🏻‍♂️

Imam Ibne Kaseer Likhtey Hain Bahut Se Awliya Pani Par Chale Hain AUR Rasool Allah ﷺ Ke Sahabi Hazrat Alaa Bin Ziyad Radiallahu Anhu Waqiya Mein Is Par Dalaalat Paayi Jaati Hain 

{Al Bidaya Wal Nihaya Jild 06, Safa 346}

Safa 345 Par Likhtey Hain

Aur Kahi Ullama Ne Bayan Kiya Hain Awliya Ki Karamaat Ambiya Ki Mojizaat Hain Kyu Ki Wali Ne Is Baat Ko Apne Nabi Ki Mutabiyat Ki Barkaat AUR Iman KE Sawaab Se Haasil Kiya Hota Hain 


Safa 349 Par Likhtey Hain 

Imam Abu Muslim al-Khawlani  Rehmatullahi Alahi (Tabee) Wo Pani Par Chal Pade AUR Apne Ashaab Ki Taraf Mutawaje Hokar Farmaya Kya Tum Apne Saman Se Koi Cheez Ghoom Paate Ho? Jo Ham Allah Se Dua Kare 

Aage Likhtey Hain Imam Behaqui rehmatullahi Alahi Bayan Karte Hain Yeh “SANAD” SAHIH Hain 

Safa 350 Par 
Imam Ibne Kaseer Ne Bahut Se Hawale Ke Saath Salaaf Ka Waqiya Bayaan Ki Hain 

Akhir Ne Nafs Parast Ye Kehte Nazar Aate Hain Ke Ye Wakiyat Samj Me Nahi Aate Aur Mazak Udate Hain Hum kehte Hain Nabi Ke Mozijat Aur Wali ki karamat Naa Aaye Use Hi Mozijat Aur Karamat kehte Hain..!











DALIL TABLIG JAMAT DEOBAND SE. 

NEK BANDO KI SHAN TABLIG JAMAAT KE KITABO SE.

#waseela #auliyaallah #qaramat

ALLAH k wali k liye zameen simatt jati hai
Palak jhapakte ek jagah se dusri jagah tasharruk karte hai
Ashraf Ali thanvi db

اللہ کے ولی کے لیۓ زمین سمٹ جاتی ہے، اور وہ پلک جھبکنےکی دیر میں ایک جگہ سے سینکڑوں میل دور جگہ پر پہنچ جاتے ہیں۔۔۔۔مولانا اشرف علی تھانوی( جمال الاولیا )۔










Friday 21 June 2019

Madeena shareef ko Kabe ka kaba khana kaisa?

*💢Jab Hum Roza e Rasool ‎ﷺ Ko Kaabe 🕋 Ka Kaaba Ya Kaabe Se Afzal Kehde Toh Yeh Naam Nihad Gumrah Jahil Kehte Hain Yeh Kaabe Ki Toheen Hain.💢*
(ماز الله)

*🌹HADEES E MUSTAFA ﷺ🌹*

📝Shoaib ul Imaan Lil Behaiqi me Imam Behaiqi رحمة الله عليه​ Al Mutawaffa 458 Hijri. Me Ek Riwayat Naql Farmaayi : ke

أَخْبَرَنَا أَبُو نَصْرِ بْنُ قَتَادَةَ، حَدَّثَنَا أَبُو عَمْرٍو إِسْمَاعِيلُ بْنُ نُجَيْدٍ السُّلَمِيُّ، حَدَّثَنَا جَعْفَرُ بْنُ مُحَمَّدِ بْنِ سَوَارٍ، حَدَّثَنَا الْحُسَيْنُ بْنُ مَنْصُورٍ، حَدَّثَنَا حَفْصُ بْنُ عَبْدِ الرَّحْمَنِ، حَدَّثَنَا شِبْلُ بْنُ عَبَّادٍ، عَنِ ابْنِ أَبِي نَجِيحٍ، عَنْ مُجَاهِدٍ، عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ، قَالَ: لَمَّا نَظَرَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ إِلَى الْكَعْبَةَ، فَقَالَ: ” مَرْحَبًا بِكِ مِنْ بَيْتٍ مَا أَعْظَمَكِ، وَأَعْظَمَ حُرْمَتَكِ، وَلَلْمُؤْمِنِ أَعْظَمُ عِنْدَ اللهِ حُرْمَةً مِنْكِ “

Rasoolullah ‎ﷺ ne (Kaabe 🕋 ko Dekh-kar Farmaaya) :
Aye Kaaba 🕋! Momin (Musalmaan) ki Izzaat wa Ahteraam Tujh se Zyaada hai.

📔(Shoaib ul Imaan Lil Behaiqi : Jild 5 : Safa 465, Hadees no 3725,

Ahle Hadees Ke Allama Albaani ne Is riwayat ko HASAN kaha hai, Iske Rijaal ko SIQA kaha hai,

📔(Silsilatul Ahadees us Sahiya : Jild 7 : Safa 1249)

Ghaur Farmaaye ! 📝

Huzur ‎ﷺ Kaabe par Ek Momin Musalmaan ko Fazilat de rahe hai aur Irshaad Farmaa rahe hai ke Kaabe 🕋 se Zyaada Ek Momin ki Izzaat hai.

Toh is Hadees se Maloom ho raha hai ke Ek Momin Musalmaan (Jo ke Allah عزوجل ke Hukum par chalta hai, wo) Kaabe 🕋 se Afzal hai.

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Qabristan Jakar Salaam Karna | Qabr walo Ko salaam Karna |Hadees

 Hazrat Abdullah Bin Abbas رضي الله عنه Se Riwayat Rasool Allah ﷺ Madinah Shareef Me Kuch Qabro Ke Paas Se Ghuzray To Un Qabro Ki Taraf Rukh...