बागे फिदक के मसले पर #अशरफ_आसिफ़_जलाली साहब किब्ला ने राफ्जीयो से दौराने बहस हज़रते फातिमा ज़हरा रदीअल्लाहु ताअला अंन्हा के तरफ़ खता ए इज़तेहादी का जिक्र किया तो , आज सभी तफजीली मवाली राफ्जीयो के टुकड़े खाने वाले, उन्हें गुस्ताखे अहेले कहकर गालियाँ देते हैं,, और यही बागे फिदक के मसले पर #ताहिरूल पादरी अपने किताब में हज़रते फातिमा ज़हरा रदीअल्लाहु ताअला अंन्हा को #गलतफहमी होने की बात तीन तीन जगह लिखा है जबकि गलतफहमी ऐब है उससे गुनाह सादिर होता है और #खता_ए_इज्तेहादी पर एक नेकी मिलती है , मगर ये तफजीली मवालियों राफ्जीयो के टूकड़े खाने वाले हनीफ मवेशी जैसे लोग और नाम निहाद सय्यद आज तक ताहिरूल पादरी की रद्द नहीं किया ना उसे गुस्ताखे अहेले बैत कहते हैं , और ऐसे ही मक्कार लोग ताहिरूल पादरी की हिमायत भी करते हैं,,
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