Friday 30 August 2024

मिलादुन्नबी दलिल हिंदी |Eid e Milaad Dalil Hindi

 पोस्ट-1


#मिलाद_और_अबू_लहब_के_आज़ाब_में_कमी.


हदीस शरीफ:


हज़रत ईब्ने अब्बास रदीअल्लाहु तअ़ाला अन्हु का बयान है कि__

जब अबू लहब मर गया तो एक साल के बाद मैने ख्वाब में अबू लहब को बुरे हाल मे देखा उसने कहा कि मैने तुम्हारे बाद कोई राहत नही पाया, सिवाये इसके के पीर के दिन मुझपर अज़ाब हलका कर दिया जाता है, यह इसलिए के पीर के दिन नबी ﷺ पैदा हुए और सोबीया ने आपको विलादत कि खबर दी तो इसपर सोबीया को आज़ाद कर दिया।


📚{Bukhari Shareef}


⚠️नोट: एक काफिर ने नबी अलैहीस्सलाम कि पैदाईश की खबर सुनकर  लौंडी  को आज़ाद किया इसपर रब तआ़ला ने उसका आज़ाब मे कमी कि..

सोचो ऐ मुसलमानो हम मुसलमान होकर खर्च क्यों न करे खुशी क्यो न मनाये..


#यह_करे

👉शरीयत के दायरे मे रहकर मिलाद मनाये,अल्लाह पाक और उसके रसुल का ज़िक्र करे, गरीबो को खिलाये फातेहा ख्वानी करे,और हराम कामो से बचे और लोगो को भी बचाये,  डिजे म्युज़िक हराम है। नाच कर सुन्नीयों का नाम खराब न करे। 


#SunniTiger ✒

Saturday 17 August 2024

अबरहा बादशाह जब हाथी वालो का लश्कर काबा शरीफ ढाने आया



हुज़ूरﷺ की पैदाइश से सिर्फ पचपन (55) दिन पहले यमन का बादशाह *अबरहा* हाथियों की फ़ौज ले कर *का'बा* शरीफ ढाने के लिए मक्का पर हमला आवर हुवा था। इस का सबब (वजह) यह थी की *अबरहा* ने यमन के दारूस्सल्तनत सन्आ में एक बहुत ही शानदार और आलीशान *"गिरजा घर"*(चर्च) बनाया और यह कोशिश करने लगा की अरब के लोग काबा शरीफ़ के बजाए यमन आ कर इस गिरजा घर का हज़ किया करें। जब मक्का वालों को यह मालूम हुआ तो कबीलए *किनाना* का एक शख्स गेज़ो गज़ब में जल भुन कर यमन गया और वहां के गिरजा घर में पाखाना करके उसको नजासत (गंदगी) से लत- पत कर दिया। जब *अबरहा* ने यह वाकिआ सुना तो तेश (गुस्से) में आकर आपे से बाहर हों गया। और काबा शरीफ़ को ढाने के लिए हाथियों की फ़ौज लेकर मक्का शरीफ़ पर हमला कर दिया। और उसकी फ़ौज के अगले दस्ते ने मक्का वालों के तमाम ऊंटो और दूसरे मवेशी जानवरों को छीन लिया उसमें दो सौ या चार सौ (200-400) ऊंट *हुज़ूरﷺ* के दादा हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रदी अल्लाहो अन्हूं के भी थे।


     हजरत अब्दुल मुत्तलीब को इस वाकिए से बड़ा रंज (दुःख) पहुंचा। चुनांचे आप इस मु- आमले में गुफ्तगू करने के लिए उस के लश्कर में तशरीफ़ ले गए। जब *अबरहा* को मालूम हुवा कि कुरैश का सरदार मुझ से मुलाकात करने के लिए आए है। तो उस ने आप को अपने खैमे में बुला लिया और जब अब्दुल मुत्तलीब को देखा की एक बुलंद कामत रोबदर और निहायत हसीनो जमील आदमी है जिनकी पेशानी पर नूरे *नब्बूवत* का जाहो जलाल चमक रहा है तो सूरत देखते ही अबरहा मरऊब *(Attrect)* हो गया। और ताज़िम के लिए अपने तख्त ए शाही से खड़ा हो गया और अपने बराबर बिठा कर दरयाफ्त किया की कहिए: सरदार ए कुरैश! यहां आपकी तशरीफ़ आवरी का क्या मकसद है? अब्दुल मुत्तलिब ने जवाब दिया की हमारे ऊंट और बकरियां वगैरह जो आपके सिपाही हांक (छीन) लाए है। आप इन सब मवेशियों को हमारे सुपुर्द कर दीजिए।


 यह सुनकर *अबरहा* ने कहा कि : ए सरदारे कुरैश मैं तो यह समझता था की आप बहुत ही हौसलामंद और शानदार आदमी है। मगर आपने मुझसे अपने ऊंटो का सवाल करके मेरी नज़रों में अपना वकार (इज़्जत) कम कर दी है। ऊंट और बकरी की हकीकत ही क्या है? मैं तो आपके *काबा शरीफ़* को तोड़-फोड़ कर बर्बाद करने के लिये आया हुं। 


    आपने उसके बारे में कोई गुफ्तगू नहीं की। अब्दुल मुत्तलिब ने कहां मुझे तो अपने ऊंटो से मतलब है काबा शरीफ़ मेरा घर नहीं है बल्कि वोह अल्लाह करीम का घर है। वोह खुद अपने घर को बचा लेगा। मुझे काबे की ज़रा भी फिक्र नहीं है। यह सुन कर *अबरहा* अपने फिराऔनी लहज़े में कहने लगा की ए सरदार ए मक्का! सुन लीजिए में काबे को ढा (तोड़) कर उसकी ईट से ईट बजा दूंगा और रूए जमीन से इसका नामों निशान मिटा दूंगा। क्युकी मक्का वालों ने मेरे गिरजा घर की बड़ी बे-हुर्मति (बेइज्जती) की है। इसलिए में इसका इम्तिकाम (बदला) लेने के लिए काबे को मिस्मार (तोड़) कर देना जरूरी समझता हुं। अब्दुल मुत्तलिब ने फरमाया फिर आप जाने और खुदा जाने में आपसे सिफ़ारिश करने वाला कौन? इस गुफ्तगू के बाद *अबरहा* ने तमाम मवेशी जानवरों को वापस कर देने का हुक्म दे दिया। और अब्दुल मुत्तलिब अपने तमाम ऊंटों और बकरियों को वापस लेकर घर चले आए और लोगों से कहा तुम लोग अपने-अपने माल और मवेशियों को लेकर *मक्का शरीफ* से बाहर निकल जाओ और पहाड़ों की चोटियों पे चढ़ कर और दरो में छुप कर पनाह लो। 

  

   मक्का वालों से यह कहकर फिर खुद आप खानदान वालों के चंद आदमियों को साथ लेकर खाना ए काबा में गए और दरवाजे का हल्का पकड़ कर इंतहाई और गिरया व ज़ारी के साथ (रो- रो) कर अल्लाह करीम से इस तरह दुआ मांगने लगे की ए अल्लाह! बेशक हर शख्स अपने-अपने घर की हिफाज़त करता है। तू भी अपने घर की हिफाज़त फरमा। सलीब वालों और सलीब के पुजारियों (ईसाईयों) के मुकाबले अपने इताअत गुज़ारो की मदद फरमा। अब्दुल मुत्तलिब ने यह दुआ मांगी और अपने खानदान वालों को साथ लेकर पहाड़ की चोटी पर चड़ गए। और खुदा ए तआला की कुदरत का जल्वा देखने लगे। *अबरहा* जब सुबह के काबा शरीफ ढाने के लिए अपने लश्करे जर्रार और हाथियों की कितार के साथ आगे बढ़ा और मकामे *मगसम* में पहुंचा तो खुद उसका *हाथी* जिसका नाम "महमूद" था एक दम बैठ गया। उसे काफी मारा और उठाने की कोशिश की गईं लेकिन हाथी नहीं उठा। इसी हाल में कहरे इलाही (खुदा का अज़ाब) अबाबिलो (एक किस्म का पक्षी) की शक्ल में नमूदार (जाहिर) हुआ। और नन्हें-नन्हें परिंदे झुंड के झुंड जिनकी चोंच और पंजों में तीन-तीन कंकरिया (पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े) थे। समुंदर की जानिब से काबा शरीफ की तरफ आने लगे। अबाबिलो के इन दलबादल लश्करों ने *अबरहा* के लश्करों पर इस जोर-शोर से संगबारी शुरू कर दी की कुछ ही पल में *अबरहा* के लश्कर और उसके हाथियों के परखच्चे उड़ गए। अबाबीलो की संगबारी खुदा वंदे कह्हार व जब्बार के कहरो गज़ब की ऐसी मार थी की जब कोई कंकरी किसी फिल सुवार के सिर पर पड़ती थी तो वोह उस आदमी के बदन को छेदती हुईं हाथी के बदन से पार हो जाती थी। *अबरहा* की फ़ौज का एक आदमी भी जिंदा नहीं बचा सब के सब *अबरहा* और उसके साथियों समेत ऐसे हलाक और बर्बाद हो गए की उनके जिस्मों की बोटियां (गोश्त के) टुकड़े-टुकड़े होकर जमीन पर बिखर गईं। चुनांचे खुदा ए पाक ने इस वाकिए का जिक्र करते हुए इरशाद फरमाया:


    [ ए महबूब क्या आपने न देखा की आपके रब ने उन हाथी वालों का क्या हाल कर डाला क्या उनके दाऊं को तबाही में न डाला और उन पर परिंदो की टुकड़ियां भेजी ताकि उन्हें कंकरो के पत्थर से मारे तो उन्हें चबाएं हूए भुस जैसा बना डाला।"]


      जब *अबरहा* और उसके लश्करो का यह अंजाम हुवा तो अब्दुल मुत्तलिब पहाड़ से नीचे उतरे और खुदा का शुक्र अदा किया उनकी इस करामत का दूर दूर तक चर्चा हो गया। और तमाम अहले अरब इनको एक खुदा रसीदा बुजुर्ग की हैसियत से काबिले एहतराम (इज़्जत वाला) समझने लगें! 

    

*[📗हवाला:- सिरते मुस्तफाﷺ पेज 54,55,56,57]*

📜जारी रहेगा....

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*पेशकर्दा:- ✍🏻अख़्तर नक्शबंदी मुज्जदिदी*

मिलादुन्नबी दलिल हिंदी |Eid e Milaad Dalil Hindi

 पोस्ट-1 #मिलाद_और_अबू_लहब_के_आज़ाब_में_कमी. हदीस शरीफ: हज़रत ईब्ने अब्बास रदीअल्लाहु तअ़ाला अन्हु का बयान है कि__ जब अबू लहब मर गया तो एक स...