#नेचरी_किसे_कहते_हैं_नेचरी_फिरके_का_बानी_कौन
आज कल कुछ हमारे ही सुन्नी भाई जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में तालीम याफ्ता हैं वो एक मलऊन मरदूद सर सय्यद अहमद खान को जाने क्या क्या मानते हैं उसकी सालगिरह मनाते हैं सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीर के साथ खिराज़ ए अकीदत पेश करते हैं आइए सर सय्यद अहमद खान नेचरी फिरके के कुछ अक़ाइद ओ नज़रियात देखिए
"नेचरी वो फ़िरक़ा है जिस का अक़ीदा ये है कि जैसे आदमी का नेचर हो वैसा दीन होना चाहिए मतलब ये कि अल्लाह व रसूल के अहकामात व क़वानीन का नाम दीन नही है बल्कि जो आदमी का नेचर हो वैसा दीन होना चाहिए इस फिरके नेचरी कहते हैं इस फिरके का बानी सर सय्यद अहमद खान था सर सय्यद के इस्लाम के खिलाफ कुफ़्रिया अक़ीदे सर सय्यद के खास और चहीते शागिर्द और पैरोकार खालिद नेचरी के खास पसंदीदा शख्स जियाउद्दीन नेचरी की किताब "खुद नविश्त अफ़कार ए सर सय्यद की चंद इबारतें आपके सामने पेश हैं "
#अक़ीदा:-खुदा ना हिन्दू है ना आरज़ी मुसलमान ना मुकल्लीद है ना ला मज़हब ना यहूदी है ना ईसाई बल्कि वो तो पक्का छटा हुआ नेचरी है (किताब खुद नविश्त सफा 63)
#अक़ीदा:- खुदा ने उन अनपढ़ बद्दुओं के लिए उन ही की जुबान में कुरान उतारा यानी सर सय्यद के ख्याल में कुरान अंग्रेजी जो उसके नज़दीक बेहतर व आला जुबान है उस मे नाज़िल होना चाहिए लेकिन खुदा ने अनपढ़ बद्दुओं की जुबान अरबी में कुरान नाज़िल किया (मआज़ अल्लाह) (किताब खुद नविश्त)
#अक़ीदा:-शैतान के मुताल्लिक सर सय्यद का अक़ीदा ये था कि वो खुद इंसान में एक कुव्वत है जो इंसान को सीधे रास्ते पर से फेरती है शैतान के वुजूद को इंसान के अंदर मानता है इंसान से अलग नही मानता (किताब खुद नविश्त सफा 75)
#अक़ीदा :-हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का जन्नत में रहना फरिश्तों का सज्दा करना हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम और इमाम मेहदी रदिअल्लाहु तआला अन्हु का ज़हूर दज़्ज़ाल की आमद फरिश्ते का सूर फूंकना रोज़ ज़ज़ा व सजा मैदान ए महशर पुल सिरात हुज़ूर अलैहिस्सलाम की शफ़ाअत अल्लाह पाक का दीदार इन सब अक़ाइद का इनकार किया जो कि कुरान व हदीस से साबित है (खुद नविश्त सफा 24 से 132 तक)
#अक़ीदा:- खुल्फ़ा ए राशिदीन के बारे में ये कहता है कि खिलाफत हर किसी को अख्तियार था जिसकी चल गयी वो खलीफा हो गया मतलब इज़मा ए उम्मत का इनकार (सफा 233)
#अक़ीदा:-हज में कुर्बानी की कोई मज़हबी असल कुरान से नही पाई जाती आगे लिखता है कि इसका कुछ भी निशान मज़हब ए इस्लाम मे नही हज की कुर्बानी दर हकीकत मज़हबी कुर्बानियां नही हैं (मआज़ अल्लाह (सफा 139)
#अक़ीदा :- जब एक जामा मस्जिद के लिए इन से चंदा तलब किया गया तो सर सय्यद ने चंदा देने से इनकार कर दिया और लिख भेजा मैं खुदा के जिंदा घरों (कॉलेज) की तामीर की फिक्र में हूँ और आप लोगो को ईंट मिट्टी की तामीर का ख्याल है (सफा 101)
सर सय्यद अहमद फ़िरक़ा ए वहाबियत से ताअल्लुक़ रखता था बाद में इसने नेचरी फिरके की बुनियाद रखी अंग्रेजो का एजेंट नाम निहाद लंबी दाढ़ी वाला गुमराह शख्स था इसको इस्लामी खैर ख़्वाह कहने वाले इसके बातिल अक़ीदे पढ़ के होश के नाखून लें इसको अच्छा आदमी कह कर या लिख कर अपने ईमान के दुश्मन ना बने
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