Thursday, 28 June 2018

AALA HAZRAT AGYAR KE NAZAR ME.

Post-1

1]Jamaat E Gairislami

जमाते इस्लामी हिंद (देवबंदी) के इज्तिमाए आम में आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां की शान बयान की गई.
((जिनको उर्दू नहीं आती उनके लिये हिंदी में तरजुमा))

= मौलाना अहमद रज़ा (रहमतुल्लाहि अलैहि) बिदअत व ख़ुराफ़ात के ख़िलाफ थे.=
-जमाते इस्लामी हिंद के इज्तिमअ में डाक्टर हबीबुर रहमान और मुहम्मद अज़्मतुल्लाह का ख़िताब-
गुल्बर्ग- 24 मई 2015- मौलाना अहमद रज़ा खां के इल्म व फ़ज़ल का मेरे दिल में बड़ा एहतराम है, फिलवाक़ेअ वोह उलूमे दीनिया पर बड़ी गहरी नज़र रखते थे और उनकी इस फ़ज़ीलत का ऐतराफ़ उन लोगों को भी है जो उनसे इख़्लिताफ़ रखते हैं और मौलाना के बाज़ फ़तावा ए आरा से इख़्तिलाफ़ किया जा सकता है लेकिन दीनी ख़िदमात का ऐतराफ़ करना चाहिये, मौलाना अहमद रज़ा (रह्मतुल्लहि अलैहि) के बारे में मौलाना सैय्यद अबुल अला मौदूदि (बानिये जामते इस्लाम, देवबंदियों का एक फिरक़ा) के इन अल्फ़ाज़ को हिदायत सैंटर में जमाअते इस्लामी हिंद गुल्बर्गी की जानिब से मुनअक़द किये गये मरकज़ी इज्तिमाए आम में डाक्टर मुहम्मद हबीबुर्रहमान ने ख़िताब करते हुए कहा. आपने कहा कि मुल्क में उस दौर में जो मुनाज़िराना माहौल पैदा किया गया था उसकी वजह बहुत सारी चीज़ों को मौलाना अहमद रज़ा ख़ां (रहमतुल्लाहि अलैहि) साहब की तरफ़ मंसूब किया गया है, जिसकी वजह से आज भी वोह मसाइल पाये जाते हैं. दीन की ख़िदमत करने वालों को आप जैसी शख़्सियत को बग़ैर किसी तअस्सुब के मुताअला करना चाहिये उन्होंने मौलाना यासीन अख़तर मिस्बाही की किताब के हवाले से कहा कि मौलाना अहमद रज़ा खां ने अपनी तसानीफ़ में जा बजा “महरमात व मुंकिरात शरिआ और “”बिदआत व ख़ुराफ़ात”” के ख़िलाफ़ लिखा है और मुसलमानों को को इनसे दूर रहने की तलक़ीन की है. आपने कहा कि मौलाना ने छोटी बड़ी एक हज़ार से भी ज़्यादा किताबें लिखी हैं उनमें से सिर्फ़ पांच छह सौ ही अब तक छपी हैं, उनके मुताअले से मालूम होता है कि मौलाना अपनी तहरीरों के लिये क़ुरआन व सुन्नत को बुनियाद बनाते थे. बाज़ एक मौक़ों पर दसयों हदीस का हवाला पेश करते हैं.
मुख़तलिफ़ इख़्तिलाफ़ी मसाइल जैसे इल्मे ग़ैब, तआज़ीमी सजदा, ज़ियारते क़ुबूर व तवाफ़, ऐसी क़व्वाली जिसमें ढोल सारंगी, ताज़िया बग़ैरह के ज़मन की बातें मौलाना की तरफ़ मंसूब की जाती हैं, जबकि हक़ीक़तन वाक़िआ ऐसा नहीं है.

इसलिये अहले इल्मो दानिश को चाहिये कि मौलाना की ज़िंदगी और उनके लिटरेचर का बड़ी गहराई से मुताअला किया जाये और उनकी हक़ीक़ी तअलीमात से लोगों का रोशनास किया जाये.
सुबहानअल्लाह
(सच वही जो दुशमन के भी सर चढ़कर बोले).
नजदियो लगाओ फतवा अपनी जमात पर अब.




Post-2

DEOBANDI KA ALA HAZRAT PAR JHOOTH

DEOBANDI SAJID APNI BADNAAMI 📚KITAAB "MASLAK E AALA HAZRAT" MEIN LIKHTA HAI,

*MAULANA AHMED RAZA KHAN SAHAB BAREILWI AUR INKA KHANDAAN SHIA THA*

 (MASLAK E AALA HAZRAT PAGE NO. 43)

📚SCAN PAGE

 JABKI DEOBANDI AMIN LIKHTA HAI

*HUM AALA HAZRAT PAR YEH ILZAAM NAHI LAGATE KE WOH SHIA KHANDAAN SE TA'ALLUK RAKHTE HUE SHIA THE KYUNKI HUME UNKE SHIA HONE KI KAHI WAZAHAT NAHI MILI*

I'AANATUL AMIN PAGE NO. 46

📚SCAN PAGE



No comments:

Post a Comment

Radde Wahabiat Images | post